How much do you live

in #india6 years ago

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Do not you think how to live life
Now in the West this is a madness. How to make life taller. This thing only tells you that you are missing out on life. Whenever a country or a culture life
To think about how to be tall
It just seems this simple thing.
That life has not been won.
If you win life, then it is enough. A moment becomes equal to eternity. This length question
No, this is a question of depth, this question
No number, this question is of quality.
Just think: you are one of Buddha's life
Would you like the moment or thousands of years of your life?
Then you will understand that quality, intensity
What does the depth mean? Complete fulfillment is possible in a single moment. You can bloom But maybe.
That you do not blossom for thousands of years. You remain hidden in the seed.
Can be Scientific approach in view of life
And this is the difference in the religious viewpoint. scientific approach
Thinks of lifting life - how long life
to be done. It is not related to its meaning. So you
Older people will be found especially in hospitals in the West
Just hanged They are just tired of being alive, they
There are only grasshoppers. There is no sense, there is no meaning,
There is no poetry, because everything has ended
But the burden has become.
They want will-desire but do not allow law.
Society and law are afraid of death so that they too respect them
Does not give yourself willing to die. Word of death is forbidden
The word became Now death must also be fry, which it accepts
So that it will not be more taboo, so that people can
Could communicate and share their experiences among themselves. Then
It will not need to hide and then people's will
The opposite will not be forced to live forcefully. In the west
People express their desire to die, so do they think they
Are not asking for suicide The truth is that they are dead
Corpses have become, they are living suicide and they
Want to be free. Length does not have any meaning
It does not matter if you win - how deep you live,
How fast they live, how much fullness they live - this is the quality thing.

क्या आपको नही सोचना चाहिए कि जीवन कैसे जिये
पश्चिम में अब इस बात का पागलपन है। कि कैसे जीवन को लंबा किया जाए। यह बात यही बताती है कि कहीं जीवन से चूक रहे हैं। जब कभी कोई देश या कोई संस्कृति जीवन
को कैसे लंबा किया जाए इसके बारे में सोचने
लगेयह सिर्फ यही सामान्य सी बात बताती है।
कि जीवन को जीया नहीं गया है ।
यदि तुम जीवन को जीते हो, तब पर्याप्त होता है । एक पल भी अनंतकाल के बराबर हो जाता है। यह लंबाई का सवाल
नहीं है, यह तो गहराई का सवाल है, यह प्रश्न
संख्या का नहीं है, यह प्रश्न तो गुणवत्ता का है।
जरा सोचो: तुम बुद्ध के जीवन का एक
पल चाहोगे या तुम्हारे जीवन के हजारों साल ?
तब तुम यह समझ पाओगे कि गुणवत्ता, प्रगाढ़ता
गहराई से क्या मतलब है। एक अकेले पल में पूर्ण तृप्ति संभव है। तुम खिल सकते हो। लेकिन हो सकता है।
हैं कि तुम हजारों सालों तक नहीं खिलोतुम बीज में छिपे रह।
सकते हो। जीवन को देखने के सबध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हैं और धार्मिक दृष्टिकोण में यही भेद है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण
जीवन को लंबा करने की सोचता है- कैसे जीवन को लंबा
किया जाए। इसका सार्थकता से संबंध नहीं है। इसलिए तुम
विशेष रूप से पश्चिम में अस्पतालों में बूढ़े लोग पाओगे जो
बस लटके हुए हैं । वे सिर्फ जिंदा रहने से थक चुके हैं, वे
सिर्फ घासफूस हैं । कोई सथकता नहीं है, कोई अर्थ नहीं है,
कोई काव्य नहीं है, क्योंकि हर चीज समाप्त हो गईवे स्वयं
पर बोझ बन गए हैं।
वे इच्छा-मृत्यु चाहते हैं लेकिन कानून इजाजत नहीं देता।
समाज व कानून मृत्यु से इतना डरता है कि वह उन्हें भी इज्जत
नहीं देता जो स्वयं मरने को तैयार है । मृत्यु शब्द ही वर्जित
शब्द हो गया। अब मृत्यु को भी फ्रायड चाहिए जो इसे स्वीकार
ले ताकि यह और अधिक वर्जित न रहे, ताकि लोग इसके बारे
में बात कर सके और अपने अनुभव आपस में बांट सके। तब
इसे छिपाने की जरूरत नहीं होगी और तब लोगों की इच्छा के
विपरीत जबरदस्ती जीने को मजबूर न होना पड़ेगा। पश्चिम में
लोग मरने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो यूं लगता है कि वे
आत्महत्या के लिए नहीं पूछ रहे हैं। सच तो यह है कि वे मृत
लाशें बन चुके हैं, वे जिंदा आत्महत्या जी रहे हैं और वे इससे
मुक्त होना चाहते हैं । लंबाई का कोई अर्थ नहीं है कितना लंबा
तुम जीते हो यह बात नहीं है- कितना गहरा तुम जीते हो,
कितनी तीव्रता से जीते हो, कितनी परिपूर्णता से जीते हो- यही गुणवत्ता की बात है।

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