Amar hutatma swami shradhanand 5
Honey-meat eaters, 'we drink we niwala' friends started to feast. Every evening somebody
In the friend's huts, thorns were hung and eggs were roasted and drinks
Walk around One day the big lawyer was invited. There
Ran round open and then everyone went to their homes and
The five Abhay Shayribanke Muktakarna left with Munshiram
After coming out, the boy started to falter. Crude pudding
was . Munshiram did not lose consciousness, no matter how much alcohol he used to drink.
The friend of the city located inside the labyrinth of streets of the city
Went to leave the house A hand in the waist of a faltering friend
And with the other hand, he is going to support his hand. way
Munshiram's ally in a lane, rescued his house
Went in Back behind, Munshiram also walked into that house
He saw that there was a prostitute sitting there. Munshiram's friend
While abusing the abuses, pushing it from there and reaching home
The friend of Munshiram, who came back to his friend's house
The friend who was living was also sitting on the bottle. Then round
Got to walk Half of the bottle was left, which both ended
And the second bottle opened. Just one of those
The host was also offered that the hosts also started getting out of the house. Munshiram
Stopped them from drinking and asked them to sleep. The middle of it
The door went along with the shell to the room. Munshiram as soon as he goes
Once more drink and thinking of filling the cup for the second time
It was only that there was a sound of screaming from the room Munshiram
When we opened the door, we saw a young goddess
The guard is stunned in the hands of a friend and he
Is attacking. If Munshiram is too late for two minutes
Had it been done then perhaps his patriot religion could not be protected.
Munshiram took hold of both of these handful friends and grabbed him.
pushed. She fell and fled the goddess shivering in.
Forcibly vampire friend lent him on the bed, Munshiram.
Came out His past life is beyond the mental vision
It started to roam and since then the entire Vairagya was born, but the old
According to the practice it is necessary to eliminate the remaining bottle and not always
Let's get rid of his temptation. Full of the idea
The big glass was full that one from the front of the mind
Take the curtain and plant a huge idol of Yati Dayanand
Vampi rituals in the body and in front of the thick latta
Standing up Like what the Mahatma is saying - are you still
Will not you believe in God? The eye was not present anywhere but heart trembling. His waist was on one side of the road, where there was a wall of another house, which took off the glass and then threw it in the front wall and then got crushed. Then he picked up the bottle and thrown it out loud. He also collapsed on the wall and crumbled .
मध-मांस खाने पीने वाले,'हम प्याला हम निवाला' मित्रो ने दावत देना शुरू कर दिया । प्रत्येक शाम को किसी न किसी
मित्र के यहां मुर्गों के गले काटे जातेअण्डे भूने जाते और प्यालों
के दौर चलते । एक दिन बड़े वकील के यहां निमंत्रण था । वहां
खुला दौर चला और तो सब अपने-अपने घरों पर चले गये और
मुंशीराम के साथ रह गया ‘पांचों ऐब शायरीबांके मुखतार ।
बाहर निकलते ही मित्र लड़खड़ाने लगा । कच्चे घड़े की चढ़ी हुई
थी । मुंशीराम चाहे कितनी शराब पी लेते पर होश नहीं खोते थे ।
अपने मित्र को वे शहर की गलियों की भूल भुलैयां के अन्दर स्थित
मकान पर छोड़ने गये । लड़खड़ाते मित्र की कमर में एक हाथ
और दूसरे हाथ से उसके हाथ को सहारा देते हुए जा रहे हैं । मार्ग
की एक गली में मुंशीराम का साथी अपना हाथ छुड़ाकर एक घर
के अन्दर चला गया । पीछेपीछे मुंशीराम भी जब उस घर में चले
गये तो देखा कि वहां एक वेश्या बैठी थी । मुंशीराम ने मित्र की
गालियां सहते हुए भी उसे वहां से धकेला और घर पहुंचा कर
अपने मित्र के घर लौट आये जिस मित्र के यहां मुंशीराम अतिथि
बनकर रह रहे थे वह मित्र भी बोतल खोले बैठा था। फिर दौर
चलने लग गया । आधी बोतल शेष थी जो दोनों ने समाप्त की
और दूसरी बोतल खुल गई । उसी में से अभी एक बार पैग ही
चढ़ाया था कि मेजबान भी आपे से बाहर होने लगे । मुंशीराम
ने उन्हें पीने से रोक कर सोने को कहा । इस पर वह बीच का
किवाड़ खोल साथ के कमरे में चला गया । उसके जाते ही मुंशीराम
ने एक बार और पी ली और दूसरी बार प्याला भरने की सोच
ही रहे थे कि साथ के कमरे से चीख की आवाज आई । मुंशीराम
किवाड़ खोलकर अन्दर पहुंचे तो देखा कि एक युवा देवी उनके
रक्षक मित्र के हाथों में छटपटा रही है और वह उस पर पाशविक
आक्रमण कर रहा है । यदि मुंशीराम को दो मिनट का भी विलम्ब
हो गया होता तो शायद उसके पतिव्रत धर्म की रक्षा न हो सकती।
मुंशीराम ने उस नराधम मित्र के दोनों हाथ पकड़ कर उसे।
धकेल दिया। वह गिरा और देवी कांपती हुई अन्दर भाग गई।
पिशाच मित्र को जबरदस्ती उसके पलंग पर लिटा कर मुंशीराम।
बाहर आ गए। उनका गत सारा जीवन मानसिक दृष्टि के आगे
घूमने लगा और तब से पूरा वैराग्य उत्पन्न हुआ परन्तु पुराने
अभ्यास के अनुसार यह सूझी कि शेष बोतल समाप्त करके सदा न
के लिये उसके प्रलोभन से मुक्त हो जाएं । इस विचार से पूरा
बड़ा गिलास भरा ही था कि मानसिक दृष्टि के सामने से एक
और पर्दा उठा और यति दयानन्द की विशाल मूर्ति कोपीन लगाये
शरीर में विभूति रमाये और हाथ में मोटा लट्ठ लिये सामने आ
खड़ी हुई। ऐसा जंचा मानो महात्मा कह रहे हैं - क्या अब भी
परमेश्वर पर तेरा विश्वास न होगा? आंख मलीमूर्ति कहीं सामने न थी परंतु हृदय कांप उठा । उनका कमर सड़क की एक ओर था, जहाँ किसी दूसरे घर की दीवार थी,गिलास उठा कर जो फेका तो सामने की दीवार में लग कर चूर चूर हो गया।फिर बोतल उठा कर जोर से फेंकी वह भी दीवार से टकरा कर टुकड़े टुकड़े हो गई ।