नंद कश्यप के द्वारा

in #article6 years ago (edited)

आज ही के दिन साम्राज्यवाद की पिट्ठू सेना के हाथों चे ग्वेरा शहीद हुए थे उनकी याद को सलाम करते हुए

अर्नेस्टो चे ग्वेरा
एक क्रांतिकारी के बनने की संक्षिप्त गाथा
प्रकृति ने जो सर्वोत्कृष्ट जैविक पदार्थ पैदा किया है वह है "मनुष्य का मस्तिष्क"जिसमें स्वयं प्रकृति की चेतना विद्यमान है, और इसी मनुष्य के साथ इतिहास शुरू होता है
फ्रेडरिक एंगेल्स (Dialectics of nature)

लंदन की आम जनता के बारे में लिखते हुए कार्ल मार्क्स
ये लोग शायद ही पढ़ लिख सकते थे, नियमित चर्च जाते थे ,कभी राजनीति की बातें नहीं करते, बहुत श्रृद्धा से बाईबल का पाठ सुनते, अपने उच्च वर्ग के प्रति विनम्र और समर्पित सोच के स्तर पर लगभग मृत, अपने सीमित दायरे में जीते हुए नहीं पता था कि उनके आसपास विशाल मानव जमात में क्या कुछ घट रहा है, वो इसी तरह से जी रहे थे औद्योगिक क्रांति ने सबकुछ उलट पलट दिया अब यही मनुष्य सोचने लगा और पुरुषोचित सक्रियता के साथ अपने बेहतर जीवन और भविष्य की सुरक्षा की मांग करने लगा। ( मार्क्स एंगेल्स collected works volume !v)

मानव सभ्यता के इतिहास में अनेकों उथल-पुथल हुए हैं सत्ताधारी वर्ग की महात्वाकांक्षी हिंसा से इतिहास अटा पड़ा है , परंतु औद्योगिक क्रांति और विज्ञान के विकास ने एक नई सोच और एक नए मनुष्य को सामने लाया जो सिर्फ अपने लिए ही नहीं वरन् पूरे मनुष्य समाज के बारे में सोच रहा है, मनुष्य को केंद्र में रख पूरे मानव जाति के कल्याण की बात कर रहा है,वह ठोस तर्कों और वैज्ञानिक नजरिए से सामाजिक आर्थिक राजनीतिक विश्लेषण कर सबके लिए समान अधिकार बात करते हुए तत्कालीन सत्ताधारी वर्ग की तानाशाहियों के खिलाफ विद्रोह की आवाज़ बुलंद कर रहा था , भगतसिंह की परंपरा के अर्नेस्टो चे ग्वेरा उन्ही में से एक है
अर्नेस्टो ग्वेरा लिंच को "चे " टाईटल के रूप में मिला था, अर्जेंटीना में गौरानी इंडियन्स से यह शब्द लिया है और इसका मतलब है" मेरा" साथ ही पांपोस की परंपरा में चे को हर्षोल्लास से भरा हुआ नर्म दिल विद्रोही कहा है इस तरह क्यूबा के लोगों ने कहा "हर्षोल्लास से भरा मेरा नर्म दिल विद्रोही" और और इस तरह क्यूबा में डान अर्नेस्टो ग्वेरा लिंच के पुत्र को चे पुकारा जाने लगा
चे के बारे में चे के पिता
चे के दादा स्पेनिश मूल के थे और ग्वेरा उपनाम लिखते थे और मेरी मां यानि चे की दादी लिंच उपनाम लिखती थी इसलिए मैं अपना नाम लिखा डान अर्नेस्टो ग्वेरा लिंच ,चे के नाना आयरलैंड से आकर अर्जेंटीना में बसे थे और इस तरह मैं कह सकता हूं कि मेरे पुत्र चे ग्वेरा को आइरिश विद्रोह स्पेनिश जिंदादिली और अर्जेंटानियन देशभक्ति विरासत में मिली (यद्यपि क्यूबा क्रांति के समय अमेरिकी मीडिया ने अफवाह फैलाया था कि चे ग्वेरा रूसी लड़ाका जासूस है)। चे ग्वेरा की मां सेलिया बेहद सरल स्वभाव की आजाद खयाल महिला थी , वो तत्कालीन राजनीति में रुचि लेती थी और अपनी असहमति को साहस और तर्कों के साथ रखतीं,हम दोनों में धर्म को लेकर समानता थी कि हम दोनों कभी चर्च नहीं गए, सेलिया हमारे परिवार की एरिस्टोक्रेटिक परंपरा को धता बताते हुए अपने समय की पहली महिला मोटरसाइकिल चालक बनीं और प्रतिबंधित सड़क पर मोटरसाइकिल चलाकर कानून तोड़ा,चे पर मां का काफी असर पड़ा , मैंने अपने प्लांटेशन मजदूरों को उनका वेतन नकदी देना और उनके लिए अन्य सुविधाएं देनी शुरू किया तो मुझ पर कम्यूनिस्ट होने का प्रचार होने लगा, मैं मूलतः डेमोक्रेटिक हूं,खैर हमने यहां अपना पुश्तैनी काम बंद कर अर्जेंटीना के दूसरे सबसे बड़े शहर रोसारियो में कारखाना लगाने के लिए आ गए ,इसी रोसारियो शहर में 18 जून 1928 को अर्नेस्टो का जन्म हुआ इसे घर में हम टेटे पुकारने लगे , बचपन में ही टेटे को तेज बुखार आया और उसे सांस लेने में तकलीफ़ हुई तो डाक्टर के पास ले गए जहां उसने कहा कि इसे क्रानिक अस्थमा है और हमेशा दवाई खिलाते रहना होगा, ख़ैर चे तो चे ठहरा बड़े होने पर उसने अपने अस्थमा को भी प्रयोग का हथियार बना लिया और क्यूबा की तंबाकू वाले सिगार को अस्थमा का इलाज कह पीने लगा, उसकी अस्थमा के कारण उसे स्कूल में भर्ती करने की जगह उसकी मां ने घर पर ही पढ़ाना शुरू किया और चार साल की उम्र से ही चे का अध्ययन शुरू हो गया , हमारे परिवार और मुझे भी पढ़ने का बहुत शौक है और हमारे घर पर ही विशाल लाईब्रेरी है जिसमें हजारों की संख्या में दर्शन इतिहास मनोविज्ञान कला मार्क्स एंगेल्स लेनिन आदि की किताबें हैं, हमारे घर में स्पेनिश रूसी और फ्रेंच भाषा पढ़ी जाती है,टेटे को पढ़ाई भी विरासत में ही मिली उसके पसंदीदा लेखकों में उपरोक्त के साथ ही सलागारी ,जूल्स बर्ने ,ड्यूमास,विक्टर ह्यूगो,जैक लंडन,सरवांतेस,ताल्सटाय , दोस्तोवस्की,गोर्की साथ ही चे को कविता पढ़ने का बहुत शौक था और उसके पसंदीदा कवियों में पाब्लो नेरुदा थे,चे माडर्न पेंटिंग को नापसंद करते थे और कहते थे कि जो मुझे समझ में नहीं आता उसे मैं कैसे पसंद कर सकता हूं,शायद बचपन में ही अस्थमा के गंभीर हमले की वजह से चे नृत्य और संगीत से दूर रह गया जबकि हमारे परिवार में इनसे दूर रहने की कल्पना भी नहीं किया जा सकता , परंतु चे खेलकूद में भाग लेते और फुटबॉल टीम के नियमित सदस्य थे,
चे कभी भी एक जगह बैठकर नहीं रहा,नई जगह जाने और घूमने का इसे बेहद शौक था और उसके लिए वह नई नई युक्तियां करता , उसने इसमें अपने छोटे भाई राबर्टो को भी साथ ले लिया,एक दिन दोनों घर से गायब थे शाम तक तो यही सोचते रहे कि आसपास खेल रहे होंगे, परंतु देर रात नहीं आए तो पुलिस को सूचना दी, वो दोनों मिले तो 800 किलोमीटर दूर कारडोबा में ,इस समय चे 11 साल और राबर्टो 8 साल के थे, वैसे ही अपने पढ़ाई के दौरान ही 5 मई 1950 को चे के संबंध में अखबारों में माईक्रोन मोपेड कंपनी का एक विज्ञापन समाचार छपा कि "मैंने पूरा सफर बिना किसी बाधा के पूरा किया इस मोटरसाइकिल में रास्ते भर कोई खराबी नहीं आई, मैं इस मोटरसाइकिल को जिस हालत में लिया था उसी हालत में 4000किलोमीटर घूमने के बाद वापस कर रहा हूं ,इस तरह चे ने 23 फरवरी 1950 में शुरू कर मई तक अर्जेंटीना के 12 प्रांतों का सफर तय किया, चे और राबर्टो दक्षिण अमेरिका की यात्रा पर चले गए खबर मिली कि दोनों कोढ़ियों की बस्तियों में रुक रहे हैं (चे एक निपुण त्वचा रोग चिकित्सक भी थे) इन। कोढ़ियों ने इन्हें एक छोटी नाव (Raft) उपहार में दिया तो दोनों भाई अमेज़न नदी की यात्रा पर निकल पड़े और उनकी एक चिट्ठी मिली उसमें लिखा था "हम अमेज़न नदी की यात्रा पर हैं , यदि एक माह बाद हमारी कोई सूचना नहीं मिली तो समझ लीजिएगा कि हमें मगरमच्छों ने खा लिया या फिर जिंबारो इंडियन्स (जो अमेरिकी टूरिस्टों के लिए लोगों का सिर काटते हैं ) ने हमें अपना शिकार बना डाला है उस हालत में न्यूयार्क के उपहार की दुकानों में ट्राफी रेक में हमारे सिर ढूंढ लीजिएगा,च
अल्बर्टो ग्रनाडोस ,(फार्मासिस्ट केमिस्ट और चिकित्सक) चे ग्वेरा के मित्र कामरेड
1943 में हमारे विश्वविद्यालय में पुलिस प्रवेश के खिलाफ आंदोलन में मुझे गिरफ्तार कर लिया गया , मेरे भाई थामस के साथ थाने में मिलने चे भी आया , मैंने थामस से कहा कि गिरफ्तारों की रिहाई के लिए सारे विद्यार्थियों को सड़कों पर उतारे उत्तर चे ने दिया कहा कि पुलिस अब सिर पर डंडे बरसाएगी बिना पिस्तौल के मैं ऐसा नहीं करुंगा वहीं से हमारी दोस्ती प्रगाढ़ होती चली गई 29 दिसंबर 1951 को हम दक्षिण अमेरिका की यात्रा पर निकले , हमने अपने साथ एक छोटा टेंट कंबल आटोमेटिक पिस्तौल और कैमरा रख लिया,चे ग्वेरा के माता-पिता ने कहा कि एक साल में आ जाना चे के मेडिकल की फाइनल परीक्षा देने ,चे को बिदा करने उसकी पहली प्रेमिका चिनचिना भी आई थी उसने चे को 15 डालर दिए, हम निकल पड़े रात सड़क किनारे कभी खेत में तो कभी जंगल में गुजारते हमें रास्ते में पहला देश चिली मिला, वहां से पेरु पहुंचे जहां कोढ़ के बेहतरीन इलाज के लिए प्रसिद्ध शिविर में वैज्ञानिक चिकित्सक और पेरु की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य डाक्टर पेश्चे से मिलने का अवसर मिला उन्होंने हमें सान पाब्लो स्थित एक और बड़े कोढ़ियों के शिविर में जाने कहा यह वही इलाका है जहां 60 के दशक में पहली गोरिल्ला गतिविधियां शुरू हुई थी सान पाब्लो में हमारा अच्छा स्वागत हुआ हमें वहां के लेबोरेटरी में ले जाया गया और लिप्रसी की चिकित्सा के आधुनिक तरीके बताए गए हमें वहां भर्ती मरीजों के उपचार की अनुमति भी मिली , यहां से आगे बढ़ने पर हम कुछ संकट में पड़े हमारी खाने की सामग्री लगभग खत्म हो चली थी हमने अपने मांबो टेंबो (परंपरा गत नाव) को अमेज़न नदी की धारा में छोड़ दिया , चारों ओर की मनोरम दृश्य में खोए हम ब्राजील की सीमा में प्रवेश कर गए यहां हमने अपने मांबो टेंबो को नाव से बदल लिया , परंतु हमारी फटेहाल वेशभूषा ने हमें अंततः सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, यहां हमारे अर्जेंटीना का और फुटबॉल का खिलाड़ी होना काम आया वहां का पुलिस प्रमुख फुटबॉल प्रेमी था उसने शर्त रखा कि यदि हम उसके शहर के स्थानीय टीम के कोच बन जाते हैं तो वह हमें छोड़ देगा , स्थानीय टीम की जीत के साथ ही हमें बगोटा तक के लिए हवाई यात्रा का उपहार मिला और इस तरह हम बगोटा पहुंचे , कोलंबिया में लारेज गोमेज की तानाशाही सरकार किसानों पर ज़ुल्म ढा रही थी , पुलिस द्वारा नागरिकों की हत्या आम थी जेलें जरुरत से ज्यादा भरी हुई थी , हमारा भी ऐसा ही स्वागत हुआ और हमें सीधे जेल भेज दिया गया और तुरंत कोलंबिया छोड़ने की सहमति देने पर वेनेजुएला की सीमा में हमें फेंक दिया गया,हम सुरक्षित कराकास पहुंचे मैंने यहीं रुकने का फैसला कर लिया क्योंकि मुझे न सिर्फ अच्छी नौकरी वरन् मेरी हमसफ़र जूलिया भी मिली,,चे वापस अर्जेंटीना चले गए और मार्च 1953 में उन्होंने डर्मेटलाजी में विशेषज्ञ सर्जन की डिग्री पास किया , परंतु चे अपने को अभी भी देश का आजाद नागरिक नहीं समझते थे क्योंकि उन्हें सेना में अनिवार्य भर्ती नियम के तहत निश्चित समय सेना में शामिल होना था, तो उन्होंने इसका बेहद ख़तरनाक रास्ता निकाला सेना में भर्ती जांच से पहले चे ने बर्फीले ढंडे पानी में डुबकी लगाई और नतीजा अस्थमा के कारण मिलिट्री के लिए मेडिकली अनफिट घोषित हो गया,अब चे सचमुच एक आजाद नागरिक था उसे 800 डालर प्रति माह की नौकरी मिल रही थी परन्तु उसने उसे ठुकरा दिया और उसके बाद लंबे समय तक जब तक कि क्यूबा में बातिस्ता की तानाशाही परास्त नहीं हो गई, हमारा संपर्क नहीं हुआ ,13 मई 1960 को चे का पत्र मिला जिसमें उसमें हमसे क्यूबा में सेवा देने का आग्रह किया था, उसने लिखा क्या तुम कल्पना कर सकते हो कि कि तुम्हारा दोस्त जो बैठकर गप्पें मारा करता था वह एक निश्चित उद्देश्य के लिए अनथक काम कर रहा है,उसी साल हम आजादी की धरती पर आ गए और जब चे से मिले तो वह सचमुच बदल गया था अब उसके पास उन सवालों के जवाब थे जो उसे बचपन से परेशान करते थे हां कुछ नहीं बदला था तो सुख सुविधाओं की अवहेलना ,सादगी से रहना और तंबाकू किताबों और शतरंज का शौक
चे ग्वेरा 19 अगस्त 1960 को डाक्टरों के बीच बोलते हुए बतलाते हैं कि अल्बर्टो ग्रनाडोस के साथ यात्रा ने उन्हें उनका रास्ता सुझाया जब वह लेपर शिविर तांबा खदानों के मजदूर बस्ती इंडियन्स स्थानीय मूल निवासियों की गरीबी अशिक्षा बीमारी बदहाली और कुलीनों साम्राज्यवादियों द्वारा उनके शोषण उनके हिंसक व्यवहार को देखकर तय किया कि इनके खिलाफ संघर्ष ही मेरा रास्ता होगा
जुलाई 1955 में मेक्सिको में फिदेल कास्त्रो के साथ मुलाकात से पहले चे ग्वेरा ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था जब जुलाई 1953 में अर्जेंटीना के हवाई अड्डे से अपने परिवार और मित्रों को यह कहते हुए अलविदा कहते हैं कि आप लोग "अमेरिका के सिपाही Soldier of America को बिदाई दे रहे हो
गुरिल्ला युद्ध क्यूबा में जीत और फिर बोलिविया क्रांति के लिए प्रस्थान
ग्वाटेमाला में लगातार हलचल मचा हुआ था 1955 में वहां 109 वां विद्रोह हुआ जिसे सीआईए ने विफल कर दिया , बहुत से गुरिल्ला क्रांतिकारी शहीद हुए अनेक अलग अलग देशों में चले गए ,चे ग्वेरा मेक्सिको के एक अस्पताल में काम करने लगे जून के अंत में क्यूबा से दो लोगों ने अस्पताल में डाक्टर से मिलने का समय लिया उस समय ड्यूटी में चे ग्वेरा थे ,चे ने एक को तो निको लोपेज़ के तौर पर पहचान लिया वो ग्वाटेमाला में साथ था ,निको ने चे से दूसरे क्यूबन का परिचय राऊल कास्त्रो के रूप में कराया,राऊल ने उनके और फिदेल कास्त्रो सहित अन्य गोरिल्ला सिपाहियों के साथ बतिस्ता द्वारा अमानवीय प्रताड़ना का विवरण दिया और यह बतलाया कि एमनेस्टी के द्वारा उन्हें मुक्त कराया गया,राऊल ने बतिस्ता के खिलाफ युद्ध जारी रखने की प्रतिबद्धता भी दर्शाया , राऊल कास्त्रो ने चे को फिदेल कास्त्रो द्वारा अदालत में दिए बयान जो बाद में दुनिया भर में मशहूर दस्तावेज "इतिहास मुझे सही साबित करेगा" के रूप में जाना गया बताया,9 जुलाई 1955 को अर्जेंटीना के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फिदेल कास्त्रो मेक्सिको सिटी आए , यहीं चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो की मुलाकात हुई फिदेल कास्त्रो ने चे ग्वेरा को अपनी पूरी योजना से अवगत कराया
एक छोटे से जहाज में जिसका नाम ग्रानमा था 82 हथियार बंद गुरिल्ला ठूंस ठूंस कर भरे हुए थे इसी दौरान चे ग्वेरा पर अस्थमा का भयानक हमला हुआ लेकिन चे उसे हंसी-मजाक करते झेल गए क्षमता से अधिक वजन के कारण यह जहाज कई बार पलटते बचा धीरे धीरे चलने के कारण जहाज समय पर सेंटियागो नहीं पहुंचा उधर पूर्व योजना अनुसार सुबह 5-40पर सेंटियागो में क्रांतिकारियों के नेतृत्व में वहां के सारे सरकारी दफ्तरों में कब्जा कर लिया, इधर बतिस्ता को जहाज की ख़बर लग गई ,दो दिनों तक फिदेल अपने जहाज को खोजी हवाई जहाज से बचा कर रखने में सफल रहे 4 दिसंबर की पूरी रात सारे लोग गन्ने के खेत में छिपे आगे बढ़ते रहे गन्ना चूस भूख मिटाते हुए , दिन में हम बुरी तरह से थके हुए थे कि दुश्मन के जहाज उपर मंडराने लगे फिर फायरिंग शुरू हो गई एक गोली चे ग्वेरा के सीने में लगी अनेक साथी घायल हुए , फिदेल कास्त्रो ने कहा दुश्मन ने हमें हराया है नष्ट नहीं किया है हम लड़ेंगे और जीतेंगे ,1957 के अंत में सियेरा मेस्तरा की पहाड़ियों में गुरिल्ला क्रांतिकारी कुछ ताकत बटोरने में सफल रहे,1958 में विद्रोहियों के पास रेडियो आ गया , अगस्त 1958 को कमांडर इन चीफ फिदेल कास्त्रो ने जीत की योजना से विद्रोही सेना को अवगत कराया,उस समय बतिस्ता के पास बीस हजार सैनिक थे उसे सीआईए और एफबीआई से मदद मिल रही थी उसके पास करोड़ों डॉलर थे परंतु बतिस्ता के सैनिक उसके लिए मरने को तैयार नहीं थे, सेना के अफसर बतिस्ता को कायर कहने लगे थे उनका कहना था कि उसने न ही युद्ध के मैदान का यहां तक कि सेंटियागो का दौरा करने की जहमत नहीं उठाया है दूसरी ओर विद्रोही सेना की ताकत बढ़ते जा रहा था , फिदेल कास्त्रो ने चे ग्वेरा को विद्रोही सेना का कमांडर घोषित कर दिया , उसके बाद विद्रोही सेना लगातार एक के बाद एक शहर पर कब्जा करने लगी और कोर्ट बिल्डिंग एक स्टार होटल में कब्जा कर लिया जनवरी 1959 तक बतिस्ता के पास एयरपोर्ट जेल और गैरीसन बैरक आदि रह गए थे,चे ग्वेरा ने 1 जनवरी को बचे हुए बतिस्ता सैनिकों से सरेंडर करने की बात शुरू किया और 11.30 बजे रेडियो में हवाना से सूचना आई कि बतिस्ता देश छोड़कर भाग गया, 2 जनवरी को चे ग्वेरा हवाना थे लोग बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों का स्वागत कर रहे थे,3 जनवरी को चे ग्वेरा की मुलाकात चिली की सोशलिस्ट पार्टी के मुखिया सल्वाडोर एलेंदे से हुई ,चे ग्वेरा से एलेंदे बहुत प्रभावित हुए ,चे ग्वेरा से मुलाकात पर एलेंदे लिखते हैं "एक बड़ा सा कमरा जिसे बेडरूम में बदल दिया गया है किताबों से भरे इस कमरे में हरी पतलून पहने खुला बदन एक व्यक्ति हांथ में इनहेलर लिए लेटा चुभती नजरों से मेरी ओर देख रहा है, उसने कहा कि पूरे समय यह अस्थमा उसे परेशान करता रहा परंतु उसने अपनी लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ा,
चे ग्वेरा क्यूबा के मंत्री बने वो भारत भी आए और पंजाब बंगाल भी घूमे लौटने से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू परिवार के साथ भोजन भी किया , दिसंबर 1964 में संयुक्त राष्ट्र संघ के में क्यूबा क्रांति के विरोधियों को लक्ष्य कर कहा कि मैं लैटिन अमेरिकी सिपाही हूं और मैं किसी भी लैटिन अमेरिकी देश की मुक्ति के लिए अपने प्राण देने को तैयार रहता हूं, इसके बाद 14 मार्च1965 के बाद वो क्यूबा में नहीं देखे गए ,उनकी मां सेलिया के पास मध्य अप्रैल में जो पत्र आया उसमें लिखा था कि वह अपने साथी अल्बर्टो ग्रनाडो के साथ पांच साल फेक्ट्री में मजदूर की तरह काम करूंगा और फिलहाल एक महीने गन्ने की कटाई में रहुंगा,24 अप्रैल को खबर छपी कि डोमिनिकन रिपब्लिक में विद्रोह में चे ग्वेरा शामिल थे और वहीं मारे गए , लेकिन यह सच नहीं था,चे बोलिविया में मुक्ति युद्ध के लिए चले गए थे उनकी बोलिविया डायरी से पता चलता है लगातार नौ महीनों तक थका देने वाले गुरिल्ला युद्ध में शामिल उनके साथी अब हताश हैं, यद्यपि चे लिखते हैं कि बचे हुए साथियों में अभी लड़ने का जोश है,22 सितंबर को चे ग्वेरा के नेतृत्व में गुरिल्ला एक गांव में किसानों को एकत्रित कर उन्हें अपने विचार समझाते हैं , 28 सितंबर को चे लिखते हैं हमें लगता है अंत आ गया चारों ओर सेना से घिरे हुए हैं 30 को लिखते हैं कि सेना से बचकर निकलने का कुछ सार्थक रास्ता नहीं दिख रहा 3 अक्टूबर को गुरिल्ला खाना और पानी प्राप्त करने में सफल रहे, तीन दिनों तक गुरिल्ला छिपते छिपाते आगे बढ़ते रहे 7 अक्टूबर को हमें 11 वें महीने में प्रवेश कर गए हैं आठ अक्टूबर की फायरिंग में चे के दो साथी मारे गए और घायल चे दुश्मन की कैद में पास के स्कूल में रखे गए थे ,9 तारीख को लोगों ने चे ग्वेरा को हेलीकॉप्टर से ले जाते हुए देखा दस तारीख को सारी दुनिया को रेडियो के माध्यम से पता चला कि उनके प्रिय चे ग्वेरा नही रहे,
इस विवरण का उद्देश्य समाज परिवर्तन के लिए जरूरी अध्ययन प्रतिबद्धता और श्रम को लक्षित करना है, हममें से बहुतों ने चे ग्वेरा के टी शर्ट में बीयर की बोतल रखे चे ग्वेरा छपा हुआ देखा होगा परंतु चे ग्वेरा शराब से दूर रहे , उनकी प्रेमिका पत्नी और बच्चों का जिक्र नहीं हो पाया जो फिर कभी करेंगे , अंत में चे ग्वेरा का सूत्र वाक्य In order to be revolutionary you need the existence of revolution , एक क्रांतिकारी बने रहने के लिए क्रांति की परिस्थितियां पैदा करना भी जरूरी है
नंद कश्यप
(Source):https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2103298179721910&id=100001252457810IMG-20180825-WA0003.jpg

Sort:  

Congratulations @suthar486! You have completed the following achievement on the Steem blockchain and have been rewarded with new badge(s) :

Award for the number of comments

Click on the badge to view your Board of Honor.
If you no longer want to receive notifications, reply to this comment with the word STOP

Do not miss the last post from @steemitboard:

Presentamos el Ranking de SteemitBoard

Support SteemitBoard's project! Vote for its witness and get one more award!