Beautiful thought
चाह मिटी चिंता गई,मन हुआ बेपरवाह!
जिसको कुछ नहीं चाहिए वो हुआ शाहंशाह !!
सिर्फ संकल्प ही है यहां विकल्प का तो सवाल ही नहीं कोई अनिश्चितता नहीं कोई संशयात्मक स्थिति का सवाल ही नहीं।
चाह मिटी चिंता गई,मन हुआ बेपरवाह!
जिसको कुछ नहीं चाहिए वो हुआ शाहंशाह !!
सिर्फ संकल्प ही है यहां विकल्प का तो सवाल ही नहीं कोई अनिश्चितता नहीं कोई संशयात्मक स्थिति का सवाल ही नहीं।