Beautiful thought
*लोग तो शायद आपसे कभी भी संतुष्ट नहीं होंगे,
लोगों की आपसे अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।
लोग आपकी सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं ,
*जहाँ आप चूके वहीं पर बुराई निकाल लेते हैं।
*इसलिए अपने कर्म करते चलो।
*लोग तो शायद आपसे कभी भी संतुष्ट नहीं होंगे,
लोगों की आपसे अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।
लोग आपकी सारी अच्छाईयों को भूल जाते हैं ,
*जहाँ आप चूके वहीं पर बुराई निकाल लेते हैं।
*इसलिए अपने कर्म करते चलो।