सत्यार्थ प्रकाश 162
(प्रश्न) उस को बहुत से मनुष्य निष्क्रिय और निर्गुण कहते हैं?
(उत्तर)
न तस्य कार्यं करणं च विद्यते न तत्समश्चाभ्यधिकश्च दृश्यते।
परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया च।।१।।
यह उपनिषत् का वचन है।
परमात्मा से कोई तद्रूप कार्य और उस को करण अर्थात् साधकतम दूसरा अपेक्षित नहीं। न कोई उस के तुल्य और न अधिक है। सर्वोत्तमशक्ति अर्थात् जिस में अनन्त ज्ञान, अनन्त बल और अनन्त क्रिया है वह स्वाभाविक अर्थात् सहज उस में सुनी जाती है। जो परमेश्वर निष्क्रिय होता तो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय न कर सकता। इसलिये वह विभु तथापि चेतन होने से उस में क्रिया भी है।
Defended (19.34%)
Summoned by @suthar486
Sneaky Ninja supports @youarehope and @tarc with a percentage of all bids.
Everything You Need To Know About Sneaky Ninja
woosh