मात्र 5000 रुपये महीने के निवेश से आप जोड़ सकते हैं 34 लाख रुपये का फंड, जानिए
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। निवेश के लिहाज से म्युचुअल फंड को अच्छा विकल्प माना जाता है। इसमें निवेश करने के लिए सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की प्रक्रिया काफी सरल है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि लोगों के बीच म्युचुअल फंड की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि म्युचुअल फंड पर मिलने वाला रिटर्न बाजार में उपलब्ध निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में ज्यादा होता है। क्या आप जानते हैं कि इसमें महज 5000 रुपये के मासिक निवेश से आप करीब 34 लाख रुपये तक जमा कर सकते हैं?
चलिए आपको बताते हैं कि यह कैसे होगा:
आपने कम उम्र में ही अगर ऐसी योजना बना ली है तो आपके लिए यह बेहतर है। मान लीजिए अगर आपने 25 साल में 5,000 रुपये केे मासिक निवेश के साथ शुरुआत की है और आपने इसे अगले 20 वर्षों तक जारी रखा, तो 15 फीसद के अनुमानित रिटर्न के लिहाज से आपके पास 33.4 लाख रुपये का फंड होगा। 45 वर्ष की उम्र में यह एक अच्छी खासी रकम होती है, जो कि आपके कई जरूरी खर्चों को पूरा कर सकती है।
एसआईपी कैलकुलेटर पर खुद करें इसकी गणना: एसआईपी कैलकुलेटर पर गणना करें तो 20 वर्षों में आपकी ओर से करीब 12 लाख रुपये निवेश किये जाएंगे। इसपर महंगाई दर को ध्यान रखते हुए आपको मिलने वाली राशि करीब 33.4 लाख रुपये होगी। यानी कि आपको 21.6 लाख रुपये का फायदा हो सकता है।
इसी तरह अगर यह निवेश पांच साल के लिए करते हैं तो आप 3.8 लाख रुपये, आठ साल में 7 लाख और 10 साल में 9.7 लाख रुपये जमा कर सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में निवेशकों ने म्युचुअल फंड्स में 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) के डेटा के मुताबिक इस साल जून के अंत तक 23.40 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है जो कि बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 20 फीसद ज्यादा है।
जानिए क्या होता है एसआईपी?
निवेश और टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का मानना है कि सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान पूंजी को बढ़ाने के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प है। इसमें निवेश की शुरुआत महज 500 रुपये की राशि के साथ भी की जा सकती है। बढ़ती महंगाई और भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए इस निवेश राशि को अपनी आय में वृद्धि के अनुसार ही बढ़ाते रहना चाहिए। इस पर मिलने वाला रिटर्न शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस विकल्प का चयन तभी करना चाहिए अगर आपके पास समय और जोखिम क्षमता दोनों है।