कहानी एक ऐसे कत्ल की जिसमे मारने वाला और मरने वाला दोनों एक ही शक्स थे |

in #hindicrimestroy2 years ago (edited)

आज की हमारी कहानी आपको सकते में डाल देगी की केसे एक इंसान इतना शातिर हो सकता है जो अपने किए गए अपराधों से बचने के लिए केसे दुनिया के सामने मरा हुआ साबित होने की कोशिश करता है लेकिन वो कहते है ना कानून के हाथ लंबे होते है मुजरिम चाहे कितना भी शातिर क्यों ना हो जाए लेकिन हमारी भारतीय पुलिस हमेशा गुनहगारों से दो कदम आगे चलती हैं |
तो आइए चलते है एक रोमांचक सफर पर जो आपके सिर्फ रोंगटे ही खड़े नहीं करेगा बल्कि आपके दुनिया के समाचारों को देखने का नजरिया है बदल देगा ।
कहानी शुरू होती है भोपाल सेन्ट्रल जेल, मध्यप्रदेश 29 जून 2019 के दिन, आज एक कैदी राजेश परमार को 14 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद वापस जेल मै आना था इधर जेल के कर्मचारियों को भी उसके लौटने का इंतजार था ।

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लेकिन उसी समय जेल के सुप्रीटेंडेंट साहब को संबंधित थाने से फोन आता है और उन्हें बताया जाता है कि 29 जून की सुबह राजेश परमार ने अपनी उम्र क़ैद कि सजा से तंग आकर आत्म दाह कर लिया ।

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RaAJESH PARMAR
क्योंकि वहां उसकी हैंडराइटिंग में लिखा सुसाइड नोट मिला जिसमें उसने आत्मदाह करने की वजह भी बताई उसमे लिखा था कि “ 15 जून को मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी इस लिए मुझे 14 दिन की पैरोल मिली ताकि मैं उसनका अंतिम संस्कार कर पाऊं अब आज यानी 29 तारीख को मेरी पैरोल खत्म होने वाली है तो मुझे वापस जेल जाना होगा लेकिन मेरे परिवार में केवल मेरे पिता ही बचे थे उनकी भी अब मृत्यु हो गई तो अब ने जीवन भर कभी बाहर नहीं आ पाऊंगा और जेल में ही मर जाऊंगा इस लिए म अपना जीवन खत्म कर रहा हूं ” इस लिए पुलिस के पास केस को बंद करने के सिवा और कोई रास्ता भी नी था ।
अब बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ और उसके बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया । लेकिन कहानी मै नया मोड़ तब आया जब 24 घंटे बाद फाइल close करने के लिए निलबाद के A.S.P. अखिल पटेल के पास भेजा गया जब उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखा तो वो चौंक गए, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा था गला दबाने से जान गई है. यानी मौत की वजह आग या धुएं से दम घुटना नहीं बल्कि गला दबाकर हत्या हुई है. फिर वो इस केस की तफ्तीश में जुट जाते हैं. तुरंत मौके से ली हुई सभी फोटोग्राफ अपने पास मंगवाते हैं।
जब ये एक सुसाइड केस था तो इसकी मौत गला दबाने से कैसे हो सकती थी ।
कुछ देर बाद a.s.p. साहब को फोटो मिलती है कुछ देर वो उन्हें बड़ी ध्यान से देखने के बाद अपनी केस डायरी निकालते है और उसमे कुछ लिखने लगते है.
• मरने वाले शख्स का पैर बिल्कुल एक दूसरे से चिपका हुआ था. जबकि जब भी कोई जलकर मरेगा तो वो तड़पने लगेगा. फिर उसके पैर एक दूसरे से चिपकने के बजाय अलग-अलग होने चाहिए
• उस शख्स का चेहरा और सीने वाला हिस्सा ही पूरा जला था जबकि हाथ और पैर ज्यादा जले नहीं थे और अजीब तरीके से मुड़े भी थे. इससे शक यही होता है कि कहीं हाथ और पैर बंधे तो नहीं थे जिस वजह से ऐसा हुआ.
अब इसका पता लगाने के लिए पटेल साहब अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचती है और बारीकी से जांच करने तथा आसपास के लोगों से पूछताछ करने के बाद पता लगता है कि जिस दिन राजेश की मौत हुई उस दिन राजेश के साथ दो और भी लोग थे ।
इस बात को पता लगने के बाद केस बंद हॉकी जगह जांच जोर शोर से शुरू होती है।
पुलिस ने राजेश के रिश्तेदारों से उसके एक नम्बर का पता लगाया जो जेल से बाहर आने के बाद उसने लिया था और अब वह बंद था। उस नंबर की कॉल डिटेल निकली गई तो पता चला कि उस नंबर से एक ही नंबर पर बार बार बात हुई और वो नंबर था निहाल नाम के व्यक्ति का और वो नंबर भी बंद था।
अब पुलिस के सामने सवाल था कहीं निहाल ने ही राजेश का कतल तो नहीं किया और इसे किसी तरह सुसाइड का रूप देने की कोशिश की ।
अब पुलिस निहाल की तलाश में जुट गई और पता चला कि निहाल मूलरूप से बिहार का रहने वाला था और राजेश के यहां किराए पर रहता था लेकिन कुछ महीनों से को कहीं और रहता था अब निहाल को हिरासत में लिया गया और पूछताछ कि गई पूछताछ में निहाल ने कई चोकाने वाले खुलासे किए ।
निहाल ने बताया कि मरने वाला राजेश परमार नी बल्कि राजू रैकवार था जिसे राजेश की जगह दी गई थी । अब पुलिस और सकती से पूछताछ की जिसमें निहाल ने पूरी कहानी बताई।

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Raju raikwar

निहाल ने बताया कि राजेश जैसे ही जेल से बाहर आया तो उसने निहाल से संपर्क किया और उसे कहा की अब उसे कोई पैरोल दिलाने वाला नी है और वो ऐसे ही जेल में मर जाएगा तो दोनों ने मिलकर एक साजिश रची जिसमें उन्होंने किसी और को मारकर राजेश की जगह रखा। अब उन दोनों के सामने चुनौती थी कि राजेश की ही कड़ कठी के व्यक्ति की डेड बॉडी का इंतजाम कहा से किया जाए और इसपर विचार करते करते वो शराब के अड्डे पर शराब पीने पहुंचे वह उन्हें एक शराबी मिला जिसके कड़ कठी हूबहू राजेश से मिलती थी तभी राजेश के खुराफाती दिमाग में एक खोफनक आइडिया आया और उसने इस बारे में निहाल को बताया।
अब क्योंकि राजू रैकवार एक मजदूर था और शराबी भी भी था तो उस झांसे म लेना दोनों के लिए आसान था उन्होंने उससे बात चीत की ओर अपने घर 28 तारीख की रात शराब पीने के लिए बुलाया इस राजू भी आसानी से मां गया और राजेश के घर आगाया, निहाल और राजेश ने मिलकर राजू को तब तक शराब पिलाई जब तक उसने अपने होश नहीं को दिए और फिर गला दबा कर उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर को आग के हॉल करने का विचार किया । अब दोनों चत के रास्ते बाहर आए कायोकी अगर वो दरवाजे से बाहर तो दरवाजा अंदर से बंद ना होने की वजह से किसी को शक हो सकता था इस लिए चार के रास्ते बाहर आकर उन्होंने खिड़की से पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी ।
इस खुलासे के बाद राजेश की तलाश शुरू हुई जिसमें पता चल की वह चेन्नई में कहीं रुका है और निहाल को कभी कभी फोन भी करता है । इस बार पुलिस का किस्मत ने साथ दिया और राजेश ने निहाल को कुछ पैसे की मदद करने के लिए फोन किया जिस पर निहाल ने कहा कि चेन्नई में मेरे कुछ दोस्त है में उन्हें कहता हूं पैसे देने के लिए। इधर पुलिस ने एक टीम बनाई और फिल्मी स्टाइल में वह के लोगों में घुल मिल गए और राजेश को धर दबोचा इस तरह एक हमारी होनहार पुलिस ने लगभग आजाद हो चुके दो हत्यारों को फिर से सलखो के पीछे लेकर खड़ा कर दिया ।

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