कुंडली में मंगल ग्रह का प्रभाव और विवाह
क्या मंगल दोष २७ साल के बाद पूर्णतः दूर हो जाता है
मंगल दोष का प्रभाव २७ साल के बाद पूरी तरह दूर नहीं होता है . मंगल दोष सर्वदा विद्यामान रहता है .आयु बढ़ने के साथ यक्ति में क्रोध काम होता जाता है और िस्ठिरिता आती है . पूजा पाठ करने पर भी मंगल का प्रभाव काम होता है .
आंशिक मंगल दोष
यदि किसी जातक की कुंडली के प्रथम , चर्तुथ , सप्तम, अष्ठम, तथा बारहववे भाव में मंगल होता है तो वह इससे प्रभावित होता है .
परन्तु कुछ योगो के कारन मंगल दोष निष्प्रभावी भी होता है.
उदहारण :
१. मंगल पर यदि उच्च के गुरु की दृस्टि है
२.कर्क लग्न में उच्च के मंगल का दोष नहीं होता है .
इस प्रकार की कुंडली में मंगल दोष नहीं देखा जाता
मंगल दोष का प्रभाव और भाव
१. सप्तम में मंगल का प्रभाव सबसे अधिक होता है और यह संबंधो को समाप्त करने वाला होता है .
२. लग्न में भी हानिकारक होता है तथा अहंकारी बना देता है
३. चर्तुथ भाव में हो तो घर में अशांति होती है .
४. अष्ठम में मंगल के रहने से सम्बन्ध मधुर नहीं रहते हैं .
५. बारहवे भाव में मंगल हो तो दुष्प्रभाव सबसे कम होता है.
विवाह और मंगल का प्रभाव
शोध के अनुशार एक मांगलिक की गैर मांगलिक से विवाह उतना ही सफल होता है जितना की दो मांगलिक जातको का विवाह .
किसी भी भाव में मंगल के होने से वैवाहिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित नहीं करता है.