सत्य की खोज
बुद्ध जिस धर्म में पैदा हुए उन्होंने उसे नहीं माना
बगावत करी और फिर जो कहा वह नया धर्म बना,
जीसस जिस धर्म में पैदा हुए उन्होंने उसे नहीं माना
बगावत करी और फिर जो कहा वह नया धर्म बना,
नानक जिस धर्म में पैदा हुए उन्होंने उसे नहीं माना
बगावत करी और फिर जो कहा वह नया धर्म बना,
मुहम्मद जिस धर्म में पैदा हुए उन्होंने उसे नहीं माना
बगावत करी और फिर जो कहा वह नया धर्म बना,
इसलिए अपने धर्म के आलोचकों को अपने धर्म का
दुश्मन मत समझिए,
यह बागी लोग ही असली धार्मिक लोग हैं
बाकी चुपचाप पुरानी बात मान कर ज़िन्दगी भर सर झुका कर ज़िन्दगी बिताने वाले तो डरपोक अनुयायी होते हैं,
ये डरपोक अनुयायी दुनिया में कोई बदलाव नहीं ला पाते,
असली धार्मिक बनिये सत्य की खोज करिए,
आपका अपना खोजा हुआ सत्य ही आपके काम का है
दूसरे का सत्य उसके लिए था,
सभी महापुरुष अधर्म में पैदा हुए, जहां जन्मे वहां उस समय धर्म की जगह सम्प्रदाय, पंथ, सेक्ट ले चुके थे ।तब इन सभी महापुरुषों ने सत्य की खोज की , तो धर्म की खोज हुई इसीलिये इंसानियत का धर्म सिखाया गया ।कालांतर में हमने फिर उन्ही महापुरुषों के सिखाये धर्म को आचरण में उतारने की जगह पठन् पाठन और चर्चा का विषय बनाकर फिर सेक्ट, पंथ या सम्प्रदायों या फिरकों की स्थापना की ।अफसोस आज फिर संसार से धर्म लुप्त है
ताज़ी नज़र और ताज़ी बुद्धी से दुनिया को देखिये,
ज़िन्दगी का मज़ा ना आये तो बताइयेगा