संघर्ष करती 'कविता' (Hindi Poetry) -Thought #11
Thought #11
Hindi Poetry
मन के गलियारों से निकल,
मष्तिस्क के विचारो को समेट,
शरीर से बाहर आना चाहती है,
अभी कोई रूप नहीं है उसका,
न है कोई आकार,
न अंत पता, न आरम्भ,
किस दिशा में जायेगी,
उसकी खबर भी नहीं,
पर महसूस होती है कहीं,
ऊर्जा का स्रोत लेकर,
बहती है मेरे रक्त में,
ढूंढ रही शब्दों का शरीर,
उद्देश्य रूपी आत्मा,
पाने को नाम और,
एक नयी पहचान,
मेरे अंतर्मन में संघर्ष करती,
सभी चुनौतियों को पार कर,
आगे बढ़ती, बाहर आने को
बेताब, एक नवीन 'कविता'।
Image Source - Pixabay
This post has received a 0.68 % upvote from @speedvoter thanks to: @prvn77.
This post has received a 0.63 % upvote from @drotto thanks to: @prvn77.
Your Post Has Been Featured on @Resteemable!
Feature any Steemit post using resteemit.com!
How It Works:
1. Take Any Steemit URL
2. Erase
https://
3. Type
re
Get Featured Instantly & Featured Posts are voted every 2.4hrs
Join the Curation Team Here | Vote Resteemable for Witness
How Cool!
You got a 33.33% upvote from @coolbot courtesy of @prvn77!
Help us grow, delegate today!
This post has received a 0.29 % upvote from @booster thanks to: @prvn77.