Dear@Mehta sir!
हर व्यक्ति को ईश्वर ने तर्क वितर्क करने की क्षमता दी है। अच्छे बुरे की पहचान करने की क्षमता दी है। सभी बुद्धिजीवियों में सबसे श्रेष्ठ यह मानव अपने अहम के चलते स्वयं को सर्व श्रेष्ठ साबित करने में लगा रहता है।जबकि यह सच है कोई भी अपने आप में पूर्ण नहीं हो सकता। अपना काम बिगाड़ने से बेहतर है कि दूर दूसरे व्यक्ति से सलाह लें हो सकता है कि उसकी सोच आपकी सोच से बेहतर हो। श्रद्धेय वही है जो आपके मनोविकारों को दूर कर दे। सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।