साधना में चरित्र का महत्त्व - भाग # २ | Importance of Character in Sadhana - Part# 2
साधना में चरित्र का महत्त्व - अंतिम भाग # २ (Importance of Character in Sadhana - Final Part # 2)
एक बार महाराज शिवाजी के सामने सरदारों नें मुगलों से युद्ध में प्राप्त एक शाही मुग़ल सुन्दरी पेश की । सुंदर युवती ! और फिर शत्रु मुग़ल खानदान की । युवती थर-थर कांप रही थी, उसे प्राणों का उतना भय नहीं था जितना कि शत्रु द्वारा आबरू लुटे जाने का । वह असहाय थी । अपने कट्टर शत्रुओं के शिकंजे में फंस चुकी थी । मुक्ति का कोई उपाय नहीं था । इस अवस्था में उसे शिवाजी के सामने, मुगलों के उपहार के रूप में प्रस्तुत किया गया । सरदार बड़े प्रसन्न थे । उन्हें इसके बदले शिवाजी की ओर से बड़े-बड़े उपहार और शाबासी मिलने की आशा थी । दरबार में सभी उस अनिन्ध्य सुन्दरी की ओर दृष्टि गड़ाए थे । महाराज शिवाजी भी उसके सौन्दर्य को एकटक निरख रहे थे । महाराज शिवाजी से एक सरदार ने निवेदन किया कि “महाराज, अब तो यह आपकी ही है, हमेशा ही इसे निकट से देखते रहिएगा ।” शिवाजी की तन्द्रा टूटी । क्रुद्ध दृष्टि मानों उस सरदार को भस्म करने के लिए उठी । सरदार थर-थर कांपने लगा । उसे अपनी ध्रष्टता का भान हुआ और उसने क्षमा मांगी । दरबार में एक अजीब-सा सन्नाटा छा गया । किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था । तब शिवाजी ने सभी को सम्बोधित कर गंभीर स्वर में कहा, “मेरा शत्रु औरगंजेब है । मुग़ल सल्तनत है । यह असहाय सुन्दरी नहीं है । यह हम सबकी माता और बहनों के समान आदरणीया है । इसे किसी प्रकार का कष्ट दिए बिना सम्मान सहित मुगलों को सौंप दिया जाए । मैं इसे इसलिए देखता रहा कि क्या यह अच्छा होता कि मेरी माता जीजाबाई भी इतनी ही सुंदर होती तो मैं, उसका बेटा भी इतना ही सुंदर होता ।” यह थी शिवाजी के चरित्र की उज्ज्वलता और दृढ़ता । यदि मुगलों को नहीं, तो उनके मन को तो अवश्य ही इस घटना ने जीत लिया । ऐसे ही उज्ज्वल चरित्रों से इतिहास बनता है । जाति और देश धन्य होते हैं । ऐसे सपूतों की गौरव गाथा सदैव के लिए अमर हो जाती है । चारित्रिक दृढ़ता शत्रुमन पर अमित प्रभाव डालती है । उस पर विजय पा लेती है । साहस व सफलता का रहस्य इसी में है । इसका प्रभाव अमित होता है । शत्रु भी गुणगान करने लगता है । चरित्र में एक अनोखी आकर्षण शक्ति समाई होती है । कोई भी उससे आकर्षित हुए बिना नहीं रहता । अदम्य साहस और उत्साह इससे मिलता है । सफलता सत्यमेव चरण चूमती है । सच्चरित्र का जीवन आदर्श जीवन होता है । सभी उससे प्रेरणा लेते हैं । उसके चरित्र को अपने जीवन का आदर्श बनाते है । इसी से सुयश मिलता है तथा गौरव बढ़ता है ।
व्यक्तिगत चरित्र के अतिरिक्त सामूहिक रूप से किसी जाति-विशेष का चरित्र भी आदर्श स्थापित करता है और प्रेरणा का स्त्रोत बनता है । जातीय चरित्र उस सम्पूर्ण जाति की विशेषता होती है । राजपूत जाति का चरित्र अपनी वीरता और शरणागत की रक्षा के लिए संसार-प्रसिद्द रहा है । इस जाति की वीरता का विश्व में कोई जवाब नहीं था जो कि अन्य जातियों के लिए आदर्श था । अंग्रेज जाति अपनी लगन और अनुशाशन के लिए संसार में प्रसिद्द है । जातीय चरित्र सम्पूर्ण जाति को गौरव दिलाता है । सम्पूर्ण जाति का उत्थान करता है । जातीय चरित्र एक सामूहिक उत्थान है, उच्चादर्श है तथा उसकी विशेषता है जो कि अन्य जातियों के लिए प्रेरणा का काम करती है । जाति से ऊपर उठकर एक राष्ट्रीय चरित्र होता है जो सम्पूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है । राष्ट्र के उत्थान में एक सक्रीय भूमिका निभाता है । इससे देश विश्व में अपना नाम ऊँचा करता है । राष्ट्रीय चरित्र वस्तुतः उसके नगरीय चरित्र के उच्चादर्शों से बनता है । नागरिकों के व्यक्तिगत चरित्र का ही प्रतिबिम्ब उसमे होता है । उसी से सामूहिक शक्ति जागृत होती है जो राष्ट्रों को दृढ़ता प्रदान करती है, उन्हें स्थिर बनाती है । इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है । विश्व उससे प्रभावित होता है ।
चारित्रिक दोष अक्षम्य होता है । कितने ही बड़े व्यक्ति की प्रतिष्ठा उसके चारित्रिक दोषों के प्रकट होने पर धुल में मिल जाती है । उसके प्रति श्रद्धा में कमी आ जाती है, उसका प्रभाव घट जाता है । नाम कलंकित होता है । ब्रिटेन में मैकमिलन मंत्रिमंडल में एक मंत्री के किसी वेश्या से अनैतिक सम्बन्ध प्रमाणित होने पर (जिसे कि प्रोफ्युमों कांड के नाम से जाना गया) उस मंत्री की ही नहीं, सारे देश की बदनामी हुई । दुश्चरित्रता से बड़ी बदनामी होती है । देश और समाज का नाम कलंकित होता है । चारित्रिक दोष इन्सांन को प्रगति नहीं करने देता, पतन की ओर ले जाता है । अत: चारित्रिक दृढ़ता व्यक्ति, समाज और देश के लिए बहुत आवश्यक है । इसके बिना जीवन में दृढ़ता का अभाव रहता है । स्थिरता नहीं आती । सुयश नहीं मिलता । कार्य-शक्ति और प्रभाव में वृद्धि नहीं होती । धन-हानि होने पर उसे फिर प्राप्त किया जा सकता है । स्वास्थ्य हानि को भी प्रयास करके फिर से अच्छे स्वास्थ्य में बदला जा सकता है किन्तु एक बार चारित्रिक दोष प्रमाणित होने पर अपकीर्ति का कलंक सदा के लिए माथे पर लग जाता है । यह अमिट होता है । अत: ऐसे कलंक से जीवन को सदैव बचाए रखना चाहिए । मात्र अच्छा होना ही पर्याप्त नहीं होता । दुनिया की नजर में भी अच्छा होना चाहिए । चरित्र एक अमूल्य हीरा है । जीवन का सब कुछ यही है । इसी में मान-सम्मान, यश-प्रतिष्ठा और श्रद्धा-भाव सन्निहित है । अत: हर हालत में हर क्षण इसकी दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए । सदैव सजग रहना चाहिए कि इस अमूल्य हीरे की चमक पर कलंक की छाया गिरकर इसकी चमक को धुंधली न करे ।
“सम्यग्ज्ञानदर्शन चारित्राणि मोक्षमार्ग:” कहकर शास्त्रकारों ने एक ही वाक्य में जन-जन को मोक्ष का मार्ग बताया है । इस कथन पर सदैव विचार करते रहना चाहिए तथा अपने चरित्र के महत्त्व को जानना चाहिए ।
The below mentioned translation of post is done by Google language tool. Have a look-
Once in front of Maharaja Shivaji, the chieftains offered a royal mughal beautiful in the war with the Mughals. Beautiful maiden! And then the enemy of the Mughal dynasty The young lady was trembling, she did not have the same fear of life as if the enemy had to be robbed. He was helpless. Was stuck in the clutches of his fanatical enemies. There was no way of salvation. In this stage, he was presented in front of Shivaji as a gift of the Mughals. Sardar was very happy. Instead, they had the hope of getting big gifts and poems from Shivaji. All in the court, they all looked towards the irreverent beauty. Maharaj Shivaji was also observing his beauty. A chieftain requested from Maharaj Shivaji that "Maharaj, now it is yours, you will always be watching it closely." Shivaji's body was broken. The furious vision arises to consume the Sardar. Sardar layers began trembling. He was aware of his frustration and he apologized. There was a strange silence in the court. Nobody was able to understand anything. Then Shivaji addressed everyone and said in a grave voice, "My enemy is wrong and I am angry. Mughal is the Sultanate. It is not helplessly beautiful. It is respected as mother and sister to all of us. It should be handed over to the Mughals with respect without giving any kind of pain. I kept watching this because it would have been good if my mother Jijabai was so beautiful, I, her son would be so beautiful. "This was the brightness and perseverance of Shivaji's character. If not the Mughals, then their mind must have won this event. Such brilliant characters make history. Caste and country are blessed. The glory of such saints becomes immortal forever. The characteristic firmness puts immense influence on the enemy. It conquers him. The secret of courage and success lies in this. Its effect is immense. The enemy also starts praising. Character has a unique charm power. Nobody lives without attracting him. Untiring courage and enthusiasm get it. Success kisses Satyameva Phase. The life of Sachcharitra is ideal life. All take inspiration from him. Make his character the ideal of his life. From this, happiness comes and glory increases.
In addition to the individual character, the collective character of a particular caste also sets an ideal and becomes the source of inspiration. Ethnic character is characteristic of that whole race. The character of Rajput caste has been famous for its heroism and protection of the world. There was no answer in the world of bravery of this caste, which was ideal for other castes. The British nation is famous for its passion and discipline in the world. Ethnic character gives pride to the whole race. Raises the whole race. Ethnic character is a collective uplift, high expectations and its characteristic, which acts as inspiration for other castes. Raised above the caste is a national character which represents the whole nation. Plays an active role in the upliftment of the nation. From this, the country highlights its name in the world. The national character is literally made from the highlights of its urban character. It is the reflection of the individual character of the citizens. From that the collective power is awakened, which gives strength to the nations, makes them stable. Its effect is very high. The world is influenced by it.
The characteristic defects are inexcusable. The reputation of a very big person is found in the dust when its characteristic defects are manifested. There is a lack of reverence for him, his influence decreases. Name is tarnished. In the Macmillan Cabinet in the UK, when a minister's immoral relationship with a prostitute (which was known as Profume Kand), not only that minister, the country has been defamed. Dishonestrity is a big dishonesty. Name of country and society is tarnished. The characteristic fault does not allow the insanity to progress, leads to decline. Therefore, characteristic firmness is very essential for the individual, society and the country. Without it there is lack of persistence in life. Stability does not come. Suyash can not be found. Work-force and effect do not increase. It can be recovered if there is loss of money. By trying health loss again, it can be changed in good health, but once the characteristic defect is proved, the stigma of self-indulgence is always on the forehead. It is indelible. Therefore, such a stigma should always save life. It is not enough just to be good It should also be good at the eyes of the world. The character is an invaluable diamond. This is all about life. In this, honor, honor, prestige and reverence are embodied. Therefore, in every condition, every moment should protect it firmly. It should always be aware that the shining of this priceless diamond does not dim the shadow of its shadow by falling shadow.
By saying "Samyogygnadarshan Chitrani Moksh Marg:" the scientist has told the people the path of salvation in the same sentence. Always remember this statement and should know the importance of your character.
पिछली पोस्ट का जुडाव है (The link of first post is )- https://steemit.com/life/@mehta/or-importance-of-character-in-sadhana-part-1
Great post as usual your other posts.
Thanks
आपकी पोस्ट हमेशा कमाल और भारत संस्कृति को पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित करती है। यह एक प्रकार का देश प्यार है.......
@mehta truly,Chararcter has amazing charm power.Person is known my his character and is accordingly judged.Thanks for sharing such wonderful post.
@mehta आपका नया प्रयोग अच्छा है जिसमे आप हिंदी और अंग्रेजी दोनो भाषाओ में पोस्ट लिख रहे है।इससे ज्यादा लोग तक आपकी बात पहुच पाएगी। बहुत बहुत आभार।
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हमारा चरित्र ही हमे समाज में एक रूतबा देता है .मान , सम्मान हमें सब की नज़रों में इज्जत लायक बनाता है?
@mehta आपको धन्यवाद है भारतीय संस्कृति को स्टीमेट पर और प्रचार प्रसार कर रहे हो
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this is the first time i looked into you post but believe me it is really an inspiring and character building story.
Thanks and i followed you sir so that i am able to learn morefrom you and your post or may become .001% better person than what is today.
चरित्र मन का दर्पण होता हैं। मन आत्मा का प्राकट्य साधन, चरित्र का कलंक आत्मा को दूषित करता हैं। चरित्रवान व्यक्ति आज के समय में भी, जहां भी जाता हैं, सम्मान पता हैं। चरित्र पर आपके उच्च विचारो का हम ह्रदय से सम्मान करते हैं। सादर आभार मेहता सर।
Mehta ji, apki har post pe apko approx 100 dollar mil rahe hain, lekin apke wallet me to bohot kam steem, steem power aur wo sab show ho raha hai. Aisa kyun???
चरित्र मन का दर्पण होता हैं। मन आत्मा का प्राकट्य साधन, चरित्र का कलंक आत्मा को दूषित करता हैं। चरित्रवान व्यक्ति आज के समय में भी, जहां भी जाता हैं, सम्मान पता हैं। चरित्र पर आपके उच्च विचारो का हम ह्रदय से सम्मान करते हैं। सादर आभार मेहता सर।