The wonders of Swami Dayanandaji 2
In this tune, Dayanand proclaimed Vedas by becoming fearless, threatened, killed by the Ewis, was given the punishment, but the faith of Dayanand was unreal
Stayed . They did not move back, and in a few days their
VijayPatka began to hoist. Dayanand on the hearts of opponents
They deposited the coin, and they began to bow their heads in front of the Vedas.
Maxmuller is such a German scholar,
After reading the commentary and became anti-Vedic, he also wrote Dayanand
Reading the Rigveda Bhabika and convincing of the magic of Dayanand
Gone He can write his book 'Indiawhat can it teach us' (India
What can we learn from this?)
There is a claim that only a book for humanity in the world
Not necessarily as Vedas. I also claim that,
Every man who wants to get enlightened, or his ancestors
Want to publish knowledge of, or to advance the brain
It is very necessary for him to take the oath of Vedas. '
He wrote his second and final book, Six systems of Indian
Philosophy (Shastra of India) states that, 'Whether Vedas
Vedas are unique in the literature of the world
Keep the place and do not depend on any other literature or scripture
And Vedas are self-realization. "The summary is that, Dayanand has some
At the same time, in the world, the Vedas dunka and five Sahasara
Worn up the year-ending caste. Troublemakers
Spread out Ved Vyakshi Shimmimatte small light lamp in front of the sun
Began to extinguish Somewhere in the Bible, amendment was started. Somewhere in the Koran
Began to hear voices against education. Someday Pasha
Removing the Khalifa, then somewhere Amanullah Aman (peace)
By establishing the country of Deobandhi Mullahs for establishment
Are there. Where Ehsud prevents Islam in its form in Arabia
Are jihad against Moscow (Russia's Koran publication,
Selling and phasing (rota) being closed legally
is. The properties of mosques are being seized. Somewhere in Arabic
Eating is happening, the curtain is being flown somewhere. Somewhere miss
Empress of emperor Shankarabai is being made by Jagadguru Shankaracharya.
American Professor Mr. Stipe Gautam Rishi at Kankhal Haridwar
Becoming engaged in the promotion of the Vedas. Today Muhammad Ali
Quraishi is becoming a form of peace, then tomorrow, Latifhussain Natwar
Lalit Kumar Singh has become
इसी धुन में दयानंद ने निर्भय होकर वेदों का प्रचार किया ,उन्हें धमकी दी गयी,ईटो से मारा गयाविष दिया गया, परन्तु दयानन्द का विश्वास अटल
रहा । उन्होंने पीछे कदम नहीं हटाया, और थोड़े ही दिन में उनकी
विजयपताका फहराने लगी । विरोधियों के दिलों पर भी दयानन्द
ने सिक्का जमा लिया, और वे वेदों के सामने सिर झुकाने लगे ।
मैक्समूलर ऐसे जर्मन विद्वान्, जो महीधर वा सायण आदि के
भाष्य पढ़कर वेदविरोधी हो गये थे, वह भी दयानन्द रचित
ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका पढ़कर दयानन्द के जादू के कायल हो
गये । वह अपनी पुस्तक ‘‘Indiawhat can it teach us '' (भारत
से हमको क्या शिक्षा मिल सकती है) में लिखते हैं - मेरा यह।
दावा है कि संसार में मनुष्य मात्र के स्वाध्याय के लिये कोई पुस्तक
ऐसी आवश्यक नहीं जैसी कि वेद है । मेरा यह भी दावा है कि,
प्रत्येक मनुष्य, जो आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहे, या अपने पूर्वजों
का ज्ञान प्रसिद्ध करना चाहे, या मस्तिष्क की उन्नति करना चाहे
उसके लिए वेद का स्वाध्याय करना अत्यन्त आवश्यक है ।'
उसने अपनी दूसरी व अन्तिम पुस्तक Six systems of Indian
Philosophy (भारत के षशास्त्र) में लिखा है कि, ‘चाहे वेदों
के मंत्रों का समय कोई होवेसंसार भर के साहित्य में वेद अद्वितीय
स्थान रखते हैं और किसी अन्य साहित्य या ग्रन्थ पर निर्भर नहीं
तथा वेद स्वतःप्रमाण हैं ।’’ सारांश यह है कि, दयानन्द ने थोड़े
ही समय में संसार में वेदों का डंका बजा दिया और पांच सहस्त्र
वर्ष से सोयी हुई जाति को जगा दिया । मतमतान्तरों में खलबली
फैल गई । वेद रूपी सूर्य के सामने टिमटिमाते छोटेछोटे दीपक
बुझने लगे | कहीं बाइबल में संशोधन होने लगा । कहीं कुरान
की शिक्षा के विरूद्ध आवाज सुनाई देने लगी । कहीं कमाल पाशा ।
खलीफा को निकाल रहे हैं, तो कहीं अमानुल्लाह अमन (शान्ति)
स्थापन करने के लिए देवबन्दी मुल्लाओं का देश निकाला कर
रहे हैं। कहां इसऊद अपने ढंग पर अरब में प्रचलित इस्लाम
के विरूद्ध जिहाद कर रहे हैं । मास्को (रूसमें कुरान का छपना,
बिकना तथा फिज़ करना (रटना) कानूनन बन्द किया जा रहा
है। मसजिदों की जायदादें जब्त की जा रही हैं । कहीं अरबी का
खात्मा हो रहा है, कहीं पर्दा उड़ाया जा रहा है । कहीं मिस मिलकर
जगद्गुरु शंकराचार्य के हाथों महारानी शर्मिष्ठाबाई बन रही हैं ।
कनखल हरिद्वार में अमरीकन प्रोफेसर मिस्टर स्टिप गौतम ऋषि
बनकर वेदों के प्रचार का बीड़ा उठा रहे हैं । आज मुहम्मदअली
कुरैशी शान्ति स्वरूप बन रहे हैं, तो कल लतीफहुसैन नटवर
ललितकुमार सिंह बन गये हैं ।
स्वामी दयानंद के मासूम बच्चे
इनका भविष्य आपके हाथ मे है
इनको स्वारों
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