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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # २) | The Life of Religion : Modesty (Part # 2)
जी हमे अपने अछे कार्य को कभी नहीं रोकना चाहिये कियो की इस संसार के बुरे लोग तो चाहते ही यही के की अछे काये रुक जाए.
जी हमे अपने अछे कार्य को कभी नहीं रोकना चाहिये कियो की इस संसार के बुरे लोग तो चाहते ही यही के की अछे काये रुक जाए.